top of page

अधूरी शिकायत

By Ateet Maurya


मुझे बदनाम करते हो कि, मैने इश्क नहीं किया,

कह दो ना सीधे-सीधे कि तुमने रिस्क नहीं लिया,

मै तो किताबों की तरह तुम्हारे साथ रहता था,

तुम तो समझदार थे, मुझे क्यों पढ़ नहीं लिया,


बात थे ,जज्बात थे, दोनों के अन्दर एहसास थे,

ये दोनों को पता था, फिर भी हम अनजान थे,

पहल ना तुम्हारी हुई,और पहल ना हमसे हुआ,

वो बात और है कि,दोनो के दोनों ही परेशान थे,




पुछते जो हाल तुम मेरा,हम तुमको बता ना पाते,

कितना है इश्क तुमसे,हम ये तुमको जता न पाते,

शिकायत तुम्हारा लाजमी है, मगर अधूरा भी है,

ऐसा बिल्कुल नहीं था, तुम हमको मना ना पाते,


तुम कहते हो कि इश्क मुझसे अब भी है तुमको,

तो चलो तय करते है ,इजहार करना है किसको,

चलो मिटा दे मन की दूरियाँ और शिकायते सारी,

मुझे भी हाँ का इन्तजार है, मै भी बता दू तुमको।


By Ateet Maurya



Recent Posts

See All
Shayari-3

By Vaishali Bhadauriya वो हमसे कहते थे आपके बिना हम रह नहीं सकते और आज उन्हें हमारे साथ सांस लेने में भी तकलीफ़ होती...

 
 
 
Shayari-2

By Vaishali Bhadauriya उनके बिन रोते भी हैं खुदा मेरी हर दुआ में उनके कुछ सजदे भी हैं वो तो चले गए हमें हमारे हाल पर छोड़ कर पर आज भी...

 
 
 
Shayari-1

By Vaishali Bhadauriya इतना रंग तो कुदरत भी नहीं बदलता जितनी उसने अपनी फितरत बदल दी है भले ही वो बेवफा निकला हो पर उसने मेरी किस्मत बदल...

 
 
 

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page