By Kaushik Raj
तुम्हें मैं सिगरेट सुलगाते दिखाई देता हूँ..
पर हर कश के साथ अपनी बेचैनियां उड़ा देता हूँ..
हार जीत से परे खुद से जंग लड़ता हूँ..
कहीं देर ना कर दूँ इस बात से डरता हूँ|
वैसे कभी लगता है ,
सब ठीक है , मैं ठीक हूँ..
कभी लगता हैं ,
ना ये साली दुनिया ठीक हैं , ना मैं ठीक हूँ|
ज़ख्मी दिल,
हँसता चेहरा,
शांत दिमाग..
मैं ऐसा ही ठीक हूँ..
नहीं बनना अच्छा, मैं बुरा ही ठीक हूँ ।
और ऐसे ही एक जंग-ए-ठीक-दुनिया से मैं भी लड़ आया,
सही ग़लत ताख पर रख खुद को बचा लाया..
पर जिसे मैं बचा के लाया..
बुराई ने उसके अंदर अपना घर बना डाला..
अब अच्छाइयों से ज्यादा बुराईयों का असर हैं ,
प्यार से ज्यादा नफ़रतों का असर है ,
सही ग़लत से ज्यादा न्याय की कदर हैं,
और खुद से ज्यादा दूसरों की फ़िक्र हैं|
तो सब्र रखियेगा,
दुआ कीजिएगा,
कर्म चाहे जैसे भी हो,
मेरी नियत साफ़ होगी ,
इस बुराई से कई बुराईयों की नाश होगी|
हाँ जानता हूँ खुद को ,
अपने जिद्द पें आड़ा हूँ
पर जुनून और जज्बातों से भरा हूँ ,
कोई साथ दे ना दे ,
मैं अपना साथ दूंगा,
रुकूंगा नहीं, अभी तो मैं लंबा चलूंगा।
By Kaushik Raj
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