Veer Sapoot
- Hashtag Kalakar
- May 10, 2023
- 1 min read
By Apoorva Sharma
कला इयों की रौ नकें हों या
हो स्वयं कला इयां
घुंघरू की आहटें हो या
हो पगों की धमक यहां
मा थे की ला लि मा हो या
हो लला ट का तेज कहीं
सिं दूरी श्रृंगा र हो या
हो रक्त का अलंकरण कहीं
युद्ध-यज्ञ में यूं
हवन हुए हवन हुए
देश के श्रृंगा र को
रा ख हुए खा क हुए
पुनी त पा वन कर्म में
शही द स्वयं यूं हो गए कि का ल के कपा ल पर अमर प्रेम बन छप गए देहरि यां उनके घरों की प्रेम की नि शा नि यां बन पुण्य धा म हो गए
By Apoorva Sharma

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