Suhagrat
- Hashtag Kalakar
- Oct 28
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By Sumit Kumar Agrawal
वो रात भी कैसी रात थी ,जब हमारी पहली रात थी
मन मे बहुत खयाल खिला था, दिल मे भरी अरमान थी
घर वालो ने केसर वाले दूध बनाकर रखे थे
रिस्तेदारो ने गुलकंद वाले पान सजाकर रखे थे
फूल से सजे कमरे मे, बिस्तर गुलाब से भरी थी
गुलाब के बीच मे गुलाब खिला था, मौसम हरी भरी थी
एक दूसरे के आंखों मे प्यार,और मन मे था बहुत अरमान
कैसी बीतेगी रात आजकी ,कही मौसम न बन जाए बेईमान
खामोश लब्ज़ मे रात कट गई, निगाहों से बाते होती रही
प्यार का आलम आसमान पर था, होठ–होटों को छूती रही
बिन बादल बरसात हो रही थी,दोनो भीगे–भीगे थे
मौसम करवट ले रही थी ,हम दोनो उसमे सिमटे थे
एक दूसरे के बाहों से हो कर, एक सिहरन सी दौड़ीती रही
दोनो अनजान बनते रहे, दोनो की जान जाती रही
संगम का सुख ले रहे थे,प्यार मे दोनो भीग रहे थे
सुहाने मौसम मे नींद आ गई, सुबह !सूरज मुस्कुरा रहे थे
By Sumit Kumar Agrawal

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