By Monika Sherawat
सोचती हूं तन्हा दिल होता कैसा होगा,
दर्द वो अपना किसे सुनता होगा,
जब पास कोई उसके रहता ना होगा,
जब अकेलापन उसे सताता होगा,
वो अकेला ही तो रोता होगा।
सोचती हूं तन्हा दिल होता कैसा होगा,
आंखो मैं समन्दर होगा,
तुफानो से अकेले जब लड़ता होगा
अपने किसी को देख वो बिखरा होगा,
उनके दिए जख्मों पे मरहम लाता कहा से होगा,
सपनो के टूटने का शोर उसे सोने ना देता होगा,
सोचती हूं तन्हा दिल होता कैसा होगा।
By Monika Sherawat
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