By Shivani Sharma
सब आधा आधा है।
सब आधा आधा...
आधी सी रात आधे सपने
आधा सा दिन आधे ही बस में।
आधे से गीत आधे नग़मे,
आधी सी हसरत आधे मन में।
आधा सा जगमग, आधा सादा सादा है।
सब आधा आधा है, सब आधा आधा।
आधी सी ज़मीन, पैर टिकते भी नहीं,
आधा आसमान, पंख खुलते भी नहीं।
आधी हसीं, हम हँसते भी नहीं,
आधा सा रोना, आँसू गिरते भी नहीं।
आधा सा छोड़ा खुद को, आधा बंधा है।
सब आधा आधा है, सब आधा आधा।
आधे ने हमको जकड़ा है,
आधे को हमें पकड़ा है।
जो हाथों में रह गया,
आधे चाँद सा टुकड़ा है।
पूरे से कम, पर थोड़े से ज़्यादा है।
सब आधा आधा है, सब आधा आधा।
By Shivani Sharma
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