Pyar Dosti
- Hashtag Kalakar
- Oct 28
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By Sumit Kumar Agrawal
जब मे बच्चा होता था ,एक नन्ही परी घर अति थी
उसको देख कर मेरा दिल, सपनो से भर जाती थी
एक अनजाने इश्क ने मुझको, अपने वश मे कर लिया
बच्चा था तो क्या हुआ,प्यार ने मुझे आगोश मे कर लिया
पापा के ऑफिस के सामने से, जब वो गुजर जाती थी
दिल की धड़कन तेज और, जुबान बंद हो जाती थी
एक झलक उसकी देखने खातिर, पलक मचल जाति थी
निगाहें घूमती सब तरफ और, दिल बेकाबू हो जाती थी
मन मे प्यार तमाम छुपाकर ,उम्र बढ़ता चला गया
हजारों ख्वाहिश दिल मे दबाकर, उम्र बढ़ता चला गया
उसपर नजर गिरती कभी तो, धड़कने तेज हो जाती थी
बात करने का मन तो होता पर, दिल धोका दे जाती थी
एक दिन मैने हिम्मत करके, दोस्ती का इजहार कर डाला
अपने सोच मे दोस्ती के बाद ,प्यार का रंग भी भर डाला
ना ही दोस्ती ना ही प्यार ,उसने ऐसा मंजर दिखा डाला
पुरे सहर मे मुझे और दोस्ती, दोनो को बदनाम कर डाला
By Sumit Kumar Agrawal

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