Purana Pyar
- Hashtag Kalakar
- Oct 28
- 1 min read
By Sumit Kumar Agrawal
सुहाने मौसम मे, चिड़ियों के चह–चाहती आवाजों के संग, मध्यम मध्यम बहती हवाओं के बीच, खिल–खिलाते पौधों के सर–सराहट से होने वाली मधुर संगीत की आवाज,और कृत्रिम छोटे–छोटे झरनों की कल–कल बहती पानीओ की आवाजों से शोभायमान एक बगिया के बीच, एक मेज पर दो जोड़े आंखे,बहते हुए एक दूसरे से खामोश लब्ज़ मे बातें कर रहे थे।उनमे से एक हैं "दिनेश जी" और दूसरी हैं "सोनम जी" ,जो कि दुनिया के सभी प्रकार के सुख–दुख , उतार–चढ़ाव देखने के बाद,अपने सांसारिक जीवन से तंग आकर अपनी परेशानियों को इन पेड़–पौधों से बांटने,इस बगिया मे आते थे, पर इत्तेफाक से आज एक दूसरे के सामने आ गए।मिले तो अनजान की तरह ही थे ,पर बुढ़ापे के इन आंखों को जोर दिया तो ,दोनो को अपने जवानी के उन दिनो के याद आ गए ,जब वो एक दूसरे के प्यार हुआ करते थे। बात उन दिनों की है जब दिनेश और सोनम एक दूसरे को अपने जान से भी ज्यादा प्यार करते थे ,पर पारिवारिक और सामाजिक मजबूरी ने दोनों को अलग कर दिया ,और उनकी मजबूरी यह थी कि अपने परवरिश का ख्याल रखते हुए, प्यार की जीत की खातिर, जंग नहीं किए और दोनों ने अपने अपने परिवारों की भलाई के लिए ,प्यार की कुर्बानी दे कर , घरवालों की मर्जी से शादी कर ली। लेकिन कुदरत को ये मंजूर नहीं था ,दुनिया लिखने वाले ने इनके जिंदगी मे फिर से मिलना लिख दिया था,और आज शालों बाद इस पार्क मे दोनों की मुलाकात हो गई।मुलाकात तो हुई पर अपने दुख से दोनों इतने भरे हुए थे कि आंखों मे खुशियों की झलक तक नहीं दिखी ।कुछ देर तक तो दोनों की बाते निगाहों से होती रही पर जब होठ खुलने की बारी आई तो दोनों के आंखों से एकसाथ आंसू छलक पड़े ।अपने आप को काबू कर के सोनम जी बोली कि,में सपनो मे भी नहीं सोचा था कि इतने शाल बाद यूं तुमसे मुलाकात हो जाएगी, तो दिनेश जी ने मर्दों वाली झूठी कठोरता लाते हुए धीरे से बोले मैने भी!, कुछ देर तक एक दूसरे की आंखों मे आंखों डालते हुए खामोश लब्ज़ से संवाद करते हुए मेज पर बैठे रहे ।कई देर खामोश रहने के बाद चुप्पी तोड़ते हुए दिनेश जी ने बताया कि बेटे और बहु यहां जॉब करते हैं ,और पत्नी के मौत के बाद गांव मे मन नहीं लग रहा था तो यहां बच्चों के पास रहने के लिए आ गया ,पर बच्चों का रवैया देख कर यहां भी घुट घुट कर ही जी रहा हूं।यही हाल सोनम जी का भी था ।सोनम जी ने बताया कि, पति के मौत के बाद वो भी अपने बेटे के साथ रहने के लिए शहर मे आ गई ,पर पोते पोती स्कूल चले जाते हैं,बेटे बहु काम पर ,घर मे अकेले रहने की वजह से उनसे ना तो कोई बात करने वाला है ना तो मन लगाने का कोई दूसरा जरिया, इसलिए में भी उदास वाली जिंदगी जी रही हूँ ।अभी जो मुलाकात हुई और एक दूसरे के साथ अपना सुख दुख बांटा गया, सुख क्या, दुख ही दुख बांटा गया ,तो उसके बाद दोनों के दिल को कहीं न कहीं राहत महसूस हुई।फिर ये तो रोज का सिलसिला हो गया कि हर दिन सुबह दोनों पार्क मे आने लगे और अपने अपने दर्द बांटने लगे ।समय के अनुसार मुलाकातों के दायरे भी बढ़ने लगी, फिर दोनों सुबह और शाम दोनों समय भी मिलने लगे। जब किसी वजह से मुलाकात नहीं हो पाती ,तब सीने मे तीर घुस जाने का जो दर्द होता है वही दर्द दोनों महसूस करने लगे।सच्चे प्रेमी युगल जोड़े की जो तड़प होती है वही तड़प अब बुढ़ापे मे दिखने लगी थी।कई दिनों से सोया हुआ प्यार अब जागृत हो गया था।दोनों पूरी ईमानदारी से अपने गृहस्थी को संभालने के बाद आज ऐसी स्थिति पर पहुंच गए थे कि अपने परिवार को अंधेरे मे रखकर एक दूसरे के प्यार मे दीवानों की तरह महसूस कर रहे थे।दोनों बात करते करते अपने पुराने दिनों की प्रेम कहानी को याद करके खूब मजा भी लेते थे और कल कल बहती नदियों की तरह अपनी आंख से आंसू भी बहाते थे।आइने से भी साफ दिल रखने वाले दीपक जी ने, एक दिन अपने मन की बात ,सोनम जी को कह दिया ,कि अब तो सिर्फ तुम्हारे साथ ही रहना है ।बच्चों के साथ घर मे अपने आप को किसी टूटे फूटे सामान की तरह महसूस करता हु, और इस जिल्लत की जिंदगी से तो अच्छा है कि, में ऐसे जगह मे रहूं जहां घर भी घर जैसा लगे! और तुम साथ दो तो में अपने गांव मे अपने पुराने घर मे तुम्हारे साथ, बाकी का जिंदगी बिताना चाहता हूं, क्या तुम मेरे साथ चलोगी!।यह सुनते ही सोनम जी एक बार तो चौंक गई पर ,जो खुद अपने बच्चो की ठुकराव से परेशान थी तो ये प्रस्ताव उनको भी अच्छा लगा और शांत भाव से सिर को ऊपर नीचे हिलते हुए बिना किसी लब्ज़ के सहमति जताई ,और दोनों की आंखों से खुशी की आंसू छलक पड़े।
By Sumit Kumar Agrawal

Comments