Oh Ri Duniya
- Hashtag Kalakar
- May 9, 2023
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By Dharmendra Bharti
वजह जरूरी नहीं थी
फिर भी बड़े होने की मजबूरी बड़ी थी,
लड़के से मर्द भी बना मैं,
कसम से मुझमें होशियारी बड़ी थी,
वक़्त दर वक़्त ईंटे कमाने के चक्कर में,
घिसता रहा ,क्या बताऊं जिम्मेदारी बड़ी थी ।
घरालूं अच्छी बुरी तो भगवान की देन है,
लेकिन वो भी मेरे साथ हरपल खड़ी थी ।
कंधे झुकते गए इमारत मेरे घर की भारी बड़ी थी,
आवाज़ में कड़कपन लचीला हो गया जनाब,
जब दो पग बाहर दिए तो दुनिया की सुननी पड़ी थी,
पहले मिलते तो बताते औकात हमारी दिखाते,
बेटे से पति ,पति से पिता जब से बना हूं ।
अब मालूम हुआ बापू जी की आंखे कैसे खुली थी।
एक वक़्त था बेवक्त खाता था,
अब मालूम हुआ उस वक़्त थाली की कीमत बड़ी थी,
सब वक़्त पे खाता हू । बस मेरा वक़्त सबके बाद आता है ।
अच्छा है भैया दुनिया का चक्का इसी तरह चल पाता है ।
मैंतोबहुतचंचलथायारो, कमबखतयेदुनियाहीगलेपड़ीथी
By Dharmendra Bharti

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