By Birkunwar Singh
मैं ना होता तो क्या होता
फूल होता या ध्रुव होता
खिल जाता उसके आंगन से
फलक में रंगान से
मुमताज पुरा जहां से
ना तालुक किसी ईमान से
ना ईद से ना क़ुरान से
अपनी धुन में मशरूफ होता
मैं ना होता तो क्या होता
फूल होता या ध्रुव होता
By Birkunwar Singh
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