Mai Banjara
- Hashtag Kalakar
- May 12, 2023
- 1 min read
By Kaushik Raj
मैं बंजारा..
फिर से निकल दिया..
नया कोई ठिकाना होना..
कोई नए लोग होंगे..
नए रास्ते होंगे.. नए वास्ते होंगे..
हवा की ताजगी नई होगी.. मिट्टी की खुशबू नई होगी..
पानी का स्वाद नया होगा.. जगह का आभास नया होगा..
पर हर सफर की शुरूवात से पहेले..
कुछ दिल तोड़ देता हूं..
कुछ अपनों को छोड़ देता हूं..
कुछ पुरा .. तो कुछ अधुरा छोड़ देता हूं..
कुछ सही.. तो कुछ गलत कर देता हूं..
जब तक साथ रहा किसी के..
ध्यान रख लेता हूं..
पर अंत में उसे वैसा ही छोड़ देता हूं..
कुछ नए.. पुराने की कुर्बानी मांगते हैं..
मुझे देना पड़ जाता है..
नहीं चाहू फिर भी करना पड़ जाता है..
लकिन मैं कोई गिले सिकवे नहीं रखता..
नज़रिया या नज़र साफ रखता..
मैं बंजारा..
एक जग रह नहीं सकता..
इसलिए मैं किसी का हो नहीं सकता |
By Kaushik Raj

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