Karwa Chauth
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Karwa Chauth

By Deepshikha


बचपन में करवा चौथ के दिन, सुबह से ही बेचैनी लगी रहती कि मां कब तैयार होंगी? मां कब तैयार होंगी?


करवा चौथ के दिन मां, आम दिनों से अलग तैयार होती थी। सब काम निपटा कर, दोपहर बाद पूजा से पहले मां तैयार होने बैठती। बड़ी बेमानी सी मेरी जिद के चलते, सूट वापिस अलमारी में रख कर, साड़ी निकालती। गहरे रंग की लिपस्टिक लगाती, एक डिजाइन वाली मैचिंग बिंदी माथे पर सजाती। लाल रंग की नेल पॉलिश लगाती। दराज़ में से निकाल कर मंगलसूत्र और गले का हार पहनती। जब पड़ोस की औरतें उनसे पूछती कि ये हार ससुराल की तरफ से मिला है या मायके की तरफ से, तो कितना अच्छा लगता था मां का शरमा कर जवाब देना, कि ये तो इन्होंने लेकर दिया है।



मां अब, बड़ी हो गई है। अकेली हैं तो सूट ही पहन लेंगी। चूड़ियां खरीदने नही गई, किसी से मंगवा कर रख ली। कोई मेंहदी लगाने को नही था, तो शगुन का एक टीका चांद बस बना लिया।


मैं आदतन सुबह सुबह जब उनसे यह पूछती हूं,

मम्मा आप अभी तक तैयार नहीं हुई? आप कब तैयार होगी? अच्छा मुझे तैयार होकर फोटो जरूर भेजना?

तो मां ये नही समझती, कि मां को तैयार होते देखना, बच्चियों के जीवन की सबसे सुकून देह अनुभूति है।

मां मेरी इस बचकानी बात पर, अमूमन हंस देती है बस।


By Deepshikha



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