Ishq(इश्क़)Hashtag KalakarMay 10, 20231 min readRated NaN out of 5 stars.By Saksha Damare उसे कहा ढूंढे हम ,यहां दास्तान-ए-ग़म के आलम में सारा जमाना रो रहा है।इश्क़ की परछाई भी बड़ी कातिलाना है जनाब ।यहां क़तील के जनाजे में खुद कातिल भी रो रहा है।By Saksha Damare
Shayari-3By Vaishali Bhadauriya वो हमसे कहते थे आपके बिना हम रह नहीं सकते और आज उन्हें हमारे साथ सांस लेने में भी तकलीफ़ होती...
Shayari-2By Vaishali Bhadauriya उनके बिन रोते भी हैं खुदा मेरी हर दुआ में उनके कुछ सजदे भी हैं वो तो चले गए हमें हमारे हाल पर छोड़ कर पर आज भी...
Shayari-1By Vaishali Bhadauriya इतना रंग तो कुदरत भी नहीं बदलता जितनी उसने अपनी फितरत बदल दी है भले ही वो बेवफा निकला हो पर उसने मेरी किस्मत बदल...
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