Ghazal
- Hashtag Kalakar
- Dec 17, 2024
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By Murtaza Ansari
आओ बैठो मेरी कुछ बात अभी बाकी है
इस खामोश शख्स की आवाज़ अभी बाकी है
ऐ काश यहाँ पर होता कोई अपना मेरा
मेरे अपनों की मेरे दिल मे याद अभी बाकी है
कुछ तो भरम रखती दुनिया जिसम का मेरे
जल गया जिसम मगर राख अभी बाकी है
अब तो बेजान जिस्म ही है लेकिन
नामा-ए-आमाल के औराक अभी बाकी हैं
अब तो आजा के गम हल्का हो मेरा
अब भी वक्त है कुछ रात अभी बाकी है
राह देख कर दिल न खुश कर अन्सार
इस सफर में कई खतरात अभी बाकी है
अब भी उम्मीद है बची मेरे दिल के अंदर
दुनिया के मुसव्वीर की भी ज़ात अभी बाकी है
बोहोत देर तक सुना है थोड़ा और भी सुन लें
मुझ जैसे कमज़र्फ की फरियाद अभी बाकी है
By Murtaza Ansari


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