- hashtagkalakar
Ek Meetha Sa Ehsaas
By Nikita Gupta
है मीठा सा एहसास एक रिश्ते का, एक नन्हे से फरिश्ते का ।
प्यार की है जिसमें मिठास, ज़िंदगी का रिश्ता है जो खास ।
पहली नज़र जब उसको देखा, तो दिल बाग-बाग हो गया ।
उठाया जब हाथों में तो, एक मीठा एहसास मन को छू गया ।
थपक जिसको लोरी सुनाना, घंटों गोद में सुलाना ।
जिसके नन्हे कदमों के साथ, खुद भी हँस के दौड़ लगाना ।
कभी रोना कभी मचलना, कभी मीठी मनुहार ।
इन प्यारी-प्यारी हरकतों पर, उमड़े प्यार बेशुमार ।
अपनी तुतलाती ज़ुबान से, जब वो हमें पुकारे ।
दिल करता है, हज़ारों दुआएँ उस पर वारें ।
कभी मूँछ खींचना, कभी पल्लू पकड़ना ।
कभी अपनी ज़िद मनाना, अच्छा लगता है उससे यूँ हार जाना ।
उसके साथ बच्चा बन, हँस कर लोट-पोट हो जाना ।
खुद के दर्द को भुला, उसकी खुशी में खो जाना ।
लगता है मानो, अपने लाड़ले का बचपन फिर से इन हाथों में आ गया ।
उन धुंधली सी मधुर यादों में, फिर से रोशनी जगा गया ।
ज़िम्मेदारियों के बोझ से, जिन पलों को जी भर के जी ना सके ।
वो पल फिर लौटकर, इस दामन में समा गये ।
भर सकें जिसमें हम संस्कार, दे सकें जिसे अपने अनुभवों का सार ।
करके उस प्यारी सूरत का दीदार, दिल को मिले सुकून हर बार ।
ज़िंदगी के इस पड़ाव में, मुक्त हो ज़िम्मेदारियों के भार से ।
खुशनुमा बना दी ज़िंदगी, इक नन्ही सी जान ने ।
दादा-दादी बनने का है, यह मीठा एहसास ।
जीवन में भर दे, नई उमंग नया विश्वास ।
इस प्यारे से एहसास का, हर कोई है दीवाना ।
सोचता है कब मिले हमें, यह खुशियों का खज़ाना ।
शुक्र गुज़ार हैं उस खुदा के, जिसने बनाया ये रिश्ता न्यारा ।
कहावत सार्थक हो गई, “ मूल से ब्याज है प्यारा ” ।
By Nikita Gupta