Prem Ki Paribhasha
- Hashtag Kalakar
- May 10, 2023
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Updated: Aug 2
By Apoorva Sharma
प्रेम पुण्य है पा प नहीं
को ई दो हरा चरि त्र नहीं
मतभेदों के प्रचंड वेगवे में
मनभेद कभी यूं पनपा नहीं गि ले-शि कवे की दहली ज पर वि श्वा स की जर्जर दी वा र नहीं झूठी अहंकाहं कार की वेदीवेदी पर बलि चढ़ता आत्म सम्मा न नहीं तेरे-मेरे अस्ति त्व की आजा दी में "हम" कहीं भी कैंद नहीं
देह-देश की भूमि पर
हुकूमत का किं चि त भा व नहीं यह सब तो नहीं
पर कुछ तो है
सहूलि यत,अनुमति की
प्रती क्षा करते
ओह! शि कन की नगण्य रेखा है भा वों की सुना मी के मध्य कहीं बहती संतुलि त सरल सरि ता है एक दूजे के सजदों में
मौ न स्वयं संवा द है
सहज-समझ जहां परस्पर है स्फुरि त हो ता वहीं प्रेम का अंकुर है।है
By Apoorva Sharma

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