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Dard Ka Safar
By Vivek Upadhyay
एक व्यक्ति जिसकी जीवन संगिनी ज़िन्दगी की बीच राह में उसे छोड़ कर चली गयी। उसके ज़िन्दगी का साथ छोड़ देने के बाद जो एहसास उस व्यक्ति के निकले वो शब्दों में बयां है। एक इंसान जो अधर में रह गया और उसका दिल अपने हालात बयान करने की हालत में नहीं है वो अपने जीवन के सिलसिले शब्दों में बयां करता है ।
दर्द का सफर
दर्द का सफर कुछ यूँ टला, वक़्त से रूबरू मेरा हर ज़ख़्म भला, रही कुछ अभी न कहने की ख्वाइश मेरी, हर ख्याल मन्न में डरा हुआ, पर है दिल की नहीं कोई आबरू, जब ये मरा एक नया जशन हुआ, अभी भी सफर कुछ है बाकी रहा, बटोर के एहसास मैखाने से साकी चला, नई महफ़िल, नए अलफ़ाज़, नई उल्फत नए जज़्बात निकले फिर पैमाने से, जो मिटटी का था वो मिटटी में मिला, दर्द का सफर कुछ यूँ टाला ।
By Vivek Upadhyay