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Dar Ka Saya

By Parul Singh


मैं घर की ओर जा ही रही थी कि मुझे सुनाई दिया एक साया,

मंद मंद मुस्कुराता साया, मेरी ओर बढ़ता साया,

जाने कहां से आया?

कोई इंसान होता तो शायद पुछ लेती उससे पर वो था एक साया,

जाने दोस्त था या दुश्मन, रक्षक था या भक्षक,

थोड़ा उजाला होता तो शायद पहचान लेती कि किसका है वो साया,




घर सामने था तो मेरे कदम तेज़ उठने लगे, पर मेरे साथ वो साया भी तेज़ हो गया,

जाने कैसा ताल-मेल बैठा कि मुझसे कदम से कदम मिलाकर चलने लगा वो साया,

घर के दरवाज़े पर पहुंची तो थोड़ी हिम्मत आई सोचा पीछे मुड़कर देखा जाए,

कि आखिर किसका है ये साया?

मैं पीछे मुड़ी तो मुझे परेशान देख मुझ पर ही मुस्कुरा दिया मेरा अपना साया,

और मैं भी मुस्कुरा कर घर के अंदर चली गई क्योंकि जान गई कि मुझसे ही खेल रहा था मेरा अपना साया।



By Parul Singh




1件のコメント

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Eren Yeager
Eren Yeager
2023年5月17日
5つ星のうち5と評価されています。

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