- hashtagkalakar
Crossroads
By Poonam
जब भी कभी चुनना होता
दो राहों के बीच
दो लोगों के बीच
असमंजस तो इतना होता
कि बस भाग जाऊँ कहीं
सब कुछ पीछे छोड़कर
एक नयी शुरुआत करने को
जहाँ कोई दोराह न मिले फिर कभी…
जब चलना एक रास्ते पर होता है
रहना एक इंसान के साथ होता है
तो जिंदगी क्यूँ दो options लिए खड़ी हो जाती है सामने
हर बार की तरह confuse करने के लिए…
लेकिन, कभी सोचा है…
कि ये दोराहे अगर न होते तो…
ये दोराहे अगर न होते तो
चुनने के लिए न होता कुछ कभी
परखने के लिए न होता कोई
भले बुरे की समझ न सीख पाते हम
अपने पराये की पहचान न कर पाते कभी
जहाँ हैं वहीं शायद
बस खड़े ही रह जाते
चलने को कोई रास्ता न होता क़दमों तले
देखने को कोई मंज़िल न होती
मिलने को शख्स न होते नये
जीने के अरमाँ न बनते कभी…
क्या दोराहे वाक़ई इतने बुरे होते हैं,
जितना कि हम उन्हें समझते हैं?
शायद नहीं…
ये सिर्फ़ हमारे समझने का नज़रिया है
कि बस अपनी चाहत और सपनों के भंवरजाल से हम निकल ही नहीं पाते कभी
देखना ही नहीं चाहते
दुनिया और जिंदगी के रंगों को
क्योंकि हमारी नज़रों का दायरा शायद इतना सीमित और छोटा है
कि वो उन अनजान रास्तों को देखने से डरता है
हमारे कदम उन रास्तों पर चलने से पहले ही लड़खड़ा जाते हैं
जहाँ से शायद हमारी मंज़िल की राह गुज़रती हो
क्या ऐसा नहीं होता
कि हर दोराह या crossroad पर जिंदगी एक मौका देती है…
नये रास्तों पर चलने का
नये लोगों से मिलने का
नये ख्वाबों को बुनने का
नये रिश्ते बनाने का
और
नयी मंजिलों को पाने का…
तो क्या वाकई crossroads इतने बुरे होते हैं
जितना कि हम उन्हें समझते हैं?
शायद नहीं…
By Poonam