Bhavarth
- Hashtag Kalakar
- Sep 5, 2023
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Updated: Aug 2
By Deepshikha
मैं जाने कितनी तिकड़म भिड़ा कर,
शब्दों में तमाम दुनिया की गणित लगाकर,
भावनाओं को खूबसूरती में उलझा कर,
तुमसे कहती हूं,
"मैं चाहती हूं कि जिंदगी एक बार मुझे गलत साबित करे।"
और तुम, उतनी ही सहजता से कह देते हो,
"क्या तुम्हे ये नही कहना चाहिए कि जिंदगी तुम्हे सही साबित करे?"
मैं शायर हूं, नज्में लिखती हूं, कविताएं पढ़ती हूं, शायरी सुनती हूं।
कवियों का तो काम है,
शब्दों को तोड़ना मरोड़ना,
इधर से उधर करके नए नए मिसरे लिखना,
जरा जरा से मसलों पर बड़ी बड़ी कहानियां गढ़ना।
मुझे तो आदत है, बातों को घुमा फिरा कर लिखने की,
सोच के धागे चुन कर, नए खयाल बुनने की।
स्पष्ट बातों को फूल, तितलियों, मौसम की कहानियों में गूंथ कर, उनका मूल प्रयाय छुपाना,
विचारों के विरुद्धार्थ लिखकर उन्हें असरल करना,
किसी का नाम बदलकर, उसका सफर लिखना,
ये सब तो रोजगार है मेरा।
मगर तुम कितने सरल हो,
बातों का बस शाब्दिक अर्थ समझते हो।
कोई जोड़ तोड़,कोई गुना घटाव नही।
मैं यूंही कभी कभी सोचती हूं,
ऐसे में, कैसे तुम मेरी कविताओं के मनोरथ समझ पाओगे?
By Deepshikha

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