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Bas Thak Gyi Hun Aaj

By Parul Singh


किसी राह चलते अनजान ने पूछा -क्या हुआ?

मैंने कहा - कुछ नहीं बस थक गई हूं आज अपने आप से,

रोज़ सुबह के उन तानों से,

थक गई हूं समाज के उन सवालों से जो चैन से जीने नहीं देते,

थक गई हूं उन रिवाजों से जो सवाल करने की इजाजत नहीं देते,

थक गई हूं उन लोगों को मनाते-मनाते जो मुझे सम्मान नहीं देते,

थक गई हूं वो रिश्ते निभाते-निभाते जो मेरी परवाह नहीं करते,




थक गई हूं उन लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरते-उतरते जो शायद मुझ पर विश्वास ही नहीं करते,

थक गई हूं उन लोगों के लिए बदलते-बदलते जो ये बदलाव स्वीकार नहीं करते,

थक गई हूं उन सवालों का जवाब देते-देते जो जवाब सुनना नहीं चाहते,

बस थक गई हूं आज दुनिया से लड़ते-लड़ते, दुनिया के साथ चलते-चलते,

एक राह चलते अनजान ने पूछा - क्या हुआ?

मैंने भी मुस्कुरा कर कह दिया - कुछ नहीं, बस थक गई हूं आज अपने आप से।


कभी तो उड़ने का मौका दो, कभी तो पिंजरा खोल दो,

दिखाना है मुझे भी कि हां मैं भी उड़ सकती हूं,

कभी तो पंख फैलाने दो, कभी तो आसमान छूने दो,

दिखाना है मुझे भी कि मैं भी दुनिया रंग सकती हूं।



By Parul Singh




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Eren Yeager
Eren Yeager
May 17, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

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PARUL SINGH
PARUL SINGH
May 17, 2023
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Thank you😊

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