By Varad Ashtikar
जिसका जन्म से था एक ही सपना, हिंदवी स्वराज्य का ध्वज हो सबका।
निडर थे वो, शूरवीर थे वो जिनके एक शब्द से हिलता पूरा संसार हो।
कभी परास्त नही हुए, विजयप्राप्ति के निकट चलते गए।
पलट दिए पाँसे मुग़ल और फिरंगियों के, बना कर पूरे भारत को स्वराज्य के प्यासे।
राजनीती और कूटनीति के थे आप ज्ञानी, शत्रुओं के लिए थे आप महाबली।
हाथों में दांडपट्टा, मुछों पे ताव
पंतप्रधान श्रीमंत पेशवा बाजीराव।
By Varad Ashtikar
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