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दस्तूर
By Ankita
गजब दस्तूर दुनिया का , ये केसा रस्ता है?
इन्सां मेहमान है यहाँ, न जाता है ना बस्ता है,
मैं कोई नहीं तेरी, तू कोई नहीं मेरा
मैं तुझपे हंसती हूँ, तू मुझपे हँसता है,
मौसम जिंदगी का, तेरी आँखों से कम नहीं
कभी धुप चमकती है कभी बादल बरसता है,
पाया ही नहीं जिसे, उसे खोने का डर भीं नहीं
जहाँ इश्क़ रहता हो, वहां इश्रत कौन समझता है !
By Ankita