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Antarman
By Ritu Sachdeva
मंज़िलों से फासला है...
पर, सीढ़ियाँ चढ़ते जाना है!
खोना है या पाना है...
ये तो वक़्त का फैसला है!
होनी से अंजान है...
लेकिन मकसदों को समझना है!
तलाश है किसी सीरे की...
पर, सहारे को ढूँढना है!
बाती जल रही है...
पर, रोशनी को पकड़ना है!
सबको जानते है...
लेकिन खुद को पहचानना है!!
By Ritu Sachdeva