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Ankahi Baatein
By Amit Sethia
अनकही बातें
यहां चाहतो का शिला नही,
यहां दोस्ती का मजा नही !
यहां जाने कैसी हवा चली,
यहाँ दोस्तों में वाफा नहीं!
यहां जल गए मेरे आशियाने,
यहा बादलों को पता नहीं!
तेरे दर पे दस्तक दे सकू,
ये हक तो तूने दिया नहीं!
मैं राही हूं राह-ए-उम्मीद का,
मुझे मंजिलों का पता नहीं!
बेबस हूं जहां मैं इस कदर,
जैसे मेरा कोई “खुदा नहीं”!
मेरी सादगी मेरा जुर्म है,
कोई और मेरी खता नहीं!
By Amit Sethia