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Ajeeb Rishta
By Amreen Fatima
अजीब कोई रिश्ता है इस कलम से
ठीक वैसे ही, जैसे मोहब्बत हो सनम से
ये सबकुछ लिख देती है
वो सबकुछ सुन लेते है
ये भी मुझे मुझसे ज़्यादा जानती है
वो भी मुझे मुझसे ज़्यादा पहचानते है
मैं इसकी रहबर हूं
वो मेरे रहबर है
अल्फाज़ जाने कितने बदले,पर इसकी वही पहचान है
जज़बात चाहे जितने बदले,पर उनकी भी वही शान है
मेरी जिंदगी भी इस कलम के बिना अधूरी है
ठीक वैसे ही, जैसे जिंदा रहने के लिए सनम ज़रूरी है
By Amreen Fatima