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Ab Zara Tham

By Nausheen Sayyed


ऐ इब्ने आदम,

अब जरा थम ।


किस चीज का ये सुरूर है ?

तुझे किस बात का गुरूर है ?

वो तेरी बहन या बेटी नहीं ,

क्या यही उसका कसूर है ?



कभी दहेज न लाने पर,

कभी तेरा प्यार ठुकराने पर,

कभी तेरी नजरों के बहक जाने पर,

कभी तेरे यूंही शराब पी के आने पर,

किसी न किसी तरह मजबूर कर,

तूने ढाया है उस पर कहर ।


तेरे दिमाग का बस ये फितूर है,

नहीं तुझे इस बात का शऊर है,

वो दिन नहीं अब दूर है,

तुझे इसकी सजा मिलना जरूर है ।


इसलिये,

ऐ इब्ने आदम,

अब जरा थम ।


By Nausheen Sayyed




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