By Shivani Sharma
एक साथ जो छूटा है, एक ख्वाब जो टूटा है।
यूं लगे कि ये वक़्त ही, कुछ रूठा रूठा है,
है सामने नई राहें कई, देखेंगे नए ख्वाब कई,
पर कुछ ग़म भुलाना बाक़ी है, अभी कुछ आंसू बहाना बाक़ी है।
दिन भर जो सीखा, जो ख़ुद को समझाया है,
रात के इस अंधेरे में कहीं नज़र नहीं आया है।
कल दिन के उजाले में ढूँढेंगे हिम्मत नई,
अभी इन अंधेरों में खो जाना बाक़ी है,
अभी कुछ आंसू बहाना बाक़ी है।
एक उम्र की हसरत थी, कुछ लम्हें ही हाथ आए,
किसी और ज़िंदगी में, शायद तुमसे मिल पाएँ ।
कुछ देना रह गया है, कुछ पाना बाक़ी है,
अभी कुछ आंसू बहाना बाक़ी है,
अभी कुछ आंसू बहाना बाक़ी है।
By Shivani Sharma
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