By Narendra Rajpurohit
वो भूले बिसरे रिश्ते आज भी कुछ काम के है
दिलों पर लगे हर जख्म आज भी कुछ दाम के हैं
यार तुम भले ही भूल चुके हो उस रिश्ते को
मगर चर्चे उन किस्सों के आज भी कुछ आम से हैं
कोई हिसाब नहीं हैं तेरे दिए हुए सितम का मगर
इन आंखों में कुछ आंसू आज भी तेरे नाम के हैं
By Narendra Rajpurohit