By Nilofar Iqbal Shedbalkar
आज भी आँख नम है
दिल में समंदर सा गम है
करने चले थे क्या और क्या
ही हम पर सितम है
हमारी सच्चाई के हँक में
चाँद तारों की गवाही भी कम है
निकले थे सबका भला करने
मगर आज बचाना पड रहा खुदहीका भरम है
साथ कोई काफिला तो नही मगर
अकेले चल पडें हम है
बुलंद करके हौसले को अपने
रखा रास्ते पर कदम है
पार कर जाये सारी मुश्किलें
ऐसा अनोखा हममें दम है
जो भी हो जीत कर आयेंगे
ऐसी नियत हमारी हरदम है |
By Nilofar Iqbal Shedbalkar
Good