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रावण

By Sanjay Shinde


आज दशहरा, खूब मनाओ पर्व ये रावण संहार का।

याद दिलाने सबक हूँ आया, मैं अपने बरबादी का।

मुझे जला कर हंसते हो तुम, आख़िर तुम भी जल जाओ गे।

अगले दशहरे मेरे बगल में स्वयम् कों जलता पाओगे।


अरे रावण था मैं रावण.... दस सिरोवाला महान शिवभक्त, लंकापति रावण,

 मैं ना बचा तो, तुम कैसे बच पाओगे।


मैं दशानन, लंकेश, लंकेश्वर, लंकापति कहलाता था।

मुझसे बड़ा भक्त न कोई तीनों लोक में जन्मा था।

घोर तपस्या से मैने शिवजी का आशीष पाया था।

असुरों की थी सेना मेरी, देव इंद्र भी मुझसे डरता था।

हरा सकेगा मुझको जो, ऐसा वीर न कोई जन्मा था।

देवलोक तक नाम का मेरे डंका बजते रहता था।


अरे रावण था मैं रावण, मैं ना बचा तो, तुम कैसे बच पाओगे।

अगले दशहरे मेरे बगल में स्वयम् कों जलता पाओगे।


सोने की थी लंका मेरी स्वर्ग लोक से सुंदर थी।

दासी भी लंका में मेरी रेशमी सेज पर सोती थी।

मेरी भक्ति, मेरी शक्ति, ईश्वर भी बस मेरा था।

झूठा सा अहम ये मेरा पल पल बढ़ता रहता था।

बहन शूर्पणखा के प्यारने अंधा मुझे बनाया था।

भाई विभीषण रोक न पाया, ऐसा क्रोध का लावा था।


अरे रावण था मैं रावण, मैं ना बचा तो, तुम कैसे बच पाओगे।

अगले दशहरे मेरे बगल में स्वयम् कों जलता पाओगे।


सीता का करके अपमान, मैं राक्षस कहलाया था।

अहम, क्रोध, और ईर्ष्या ने रावण को दैत्य बनाया था।

भक्ति मेरी काम न आई, भगवान भी मुझसे रूठ गए।

अहम, क्रोध और दुराचार से वरदान भी सारे छूट गए।

गर्व से भरी लंका को मेरी एक वानर ही जला गया।

असुरों जैसी शक्ति होकर भी, श्रीराम से मैं हार गया।


अरे रावण था मैं रावण, मैं ना बचा तो, तुम कैसे बच पाओगे।

अगले दशहरे मेरे बगल में स्वयम् कों जलता पाओगे।


समझ न पाए तुम सदियोंसे,  बस मुझे जलाते रहते हो।

अहम, क्रोध और दुराचार, तुम क्यों नहीं त्यागते हो।

रावण की कोई हस्ती ही नहीं, रावण तो मनकी बुराई है।

बार बार जलकर मुझे अब, बात यही समझानी है।

दुराचार न करना किसी से यही सिख मैने पाई है।

समझ न पाए तुम अब भी तो अगली बारी तुम्हारी है।


मुझे जला कर हंसते हो तुम, आख़िर तुम भी जल जाओ गे।

अगले दशहरे मेरे बगल में स्वयम् कों जलता पाओगे।


अरे रावण था मैं रावण, मैं ना बचा तो, तुम कैसे बच पाओगे।


अगले दशहरे मेरे बगल में स्वयम् कों जलता पाओगे।

अगले दशहरे मेरे बगल में स्वयम्  कों जलता पाओगे।


By Sanjay Shinde


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