बेटी
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बेटी

By Manya Harneja


लड़का-लड़की दो अनमोल रतन है, तो भेदभाव किस बात का

एक फूल की कली है भैया, दूजा फूल गुलाब का ll


फिर लड़की के पैदा होने पर उदासी क्यों छा जाती है l

वही लड़का पैदा हो तो खुशी मनाई जाती है ll


लड़की का है क्या कसूर जो दुनिया देख न पाई l

एक लड़के की चाह में कन्या भूण हत्या करवाई ll


अलग ऱूप है अलग रंग है जान सभी में एक जैसी है l

फिर क्यों हमनें भेदभाव की खींची लकीर ऐसी है ll





लड़की करती है माँ बाप की सेवा,लड़का आँख दिखाएँ l

संभव है जब लड़के को संस्कार मिल न पाये ll


पूछो उनसे यह सवाल जिने बच्चें का सुख ना मिल पाएं l

एक बच्चें की चाह में उन्होने लाखों रूपए गवाएं ll


लड़का-लड़की का भेद मिटाकर, शिक्षा यदि दे पाओगे l

आसमान को छूने से ना इन बच्चों को रोक पाओगे ll


लड़का-लड़की दोनों से ही सृश्टि का चक्र चल पाता है l

बिना किसी एक के तो यह जीवन भी रूक जाता है ll


माँ,बहन, बेटी के ऱूप में लड़की ने कई फ़र्ज़ निभाएं l

वहीं लड़का पिता, भाई और बेटे के ऱूप में आये ll


आओ मिलकर प्रण करे की भेदभाव अब कभी ना होगा l

शिक्षा व अधिकार पर दोनों का समान हक़ होगा ll


By Manya Harneja




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