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Yaad
By Shraddha Trivedi
अवचेतन की पृष्ठभूमि पर
एक परिचित सी,
पर धुंधली सी,
छवि उभर आयी I
आँखों में चंद अश्क,
लबो पे हंसी छायी I
दिल देर तक,
गमे दरिया में उफनता रहा,
पर ताज्जुब...
आह तक न हुई !
नज़रे आज फिर
‘उस’ एक झलक की मोहताज हो गयी I
By Shraddha Trivedi