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Waqt

Updated: Jun 3

By Shivani Prasad



वक़्त के साथ तखतो ताज बदल गए

बीसवीं शताब्दी से हम इकीसवीं शताब्दी में आ गए I

कल जहाँ हमारे हाथो में किताबे और भारी बस्ते होते थे

आज उन्ही हाथो में लैपटॉप और आईपैड होता है I

कल जहाँ हम बगीचे में खोखो , कबड्डी, पिट्टो खेलने में मस्त रहते थे

वहीँ आज हम वीडियो गेम , मोबाइल और कार्टून चैनल में गुम रहते है II

कल जहाँ चार दोस्त मिल के लुड्डो खेलते थे

आज वहीँ हम ऑनलाइन लुड्डो खेलते है I

कल जहाँ हम सुबह भक्तिगीत और मंत्रोच्चारण सुनते थे

वहीँ आज पॉप म्यूजिक और वेस्टर्न सांग्स सुनते है I

कल जहाँ पूरे कपड़े पहनना हम शालीनता समझते थे

वहीँ आज आधे अधूरे और छोटे कपड़े पहनना हम आधुनिकता समझते है II



कल जहाँ हमें फलो के बगीचे मिलते थे

आज वही फैक्ट्री और कम्पनीज दीखते हैं I

कल जहाँ लोग सादगी ,प्यार और मेलमिलाप से रहते थे

आज वहीँ लोग मतलबी हैं और अकेले रहते हैं I

कल जिन दोस्तों से मिलने के लिए वक़्त ही वक़्त होता था

आज उनसे मिलने के लिए हम अपना केलिन्डर देखते हैं II

पर वक़्त एक ऐसा चक्र हैं जो कभी रुकता नहीं है

अपनी रफ़्तार से घूमता और चलते रहता है I

वक़्त के साथ तखतो ताज बदल गए

बीसवीं शताब्दी से हम इकीसवीं शताब्दी में आ गए II


By Shivani Prasad



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