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Rang
By Ritu Sachdeva
हर रंग है अलबेला
ओढ़े है...अपनी अलग सी एक पहचान!
जामनी है सूफियाना...
है उसकी अपनी रूहानी दुनिया!
नीला देता मुझको हौंसला...
तो आसमानी कहता कर खुद पर भरोसा!
पा...सकता है तू कुछ भी...बोलता हरा!
सिंदूरी करें मेरे सपनों को जवां...
तो नारंगी देता उसको एक नया चेहरा!
पीतांम्बर है मेरी उम्मीदों का जहान...
जो देता मेरे हर सपने को सम्मान!
ए...रंगो! आओगे क्या तुम मेरे काम?
दे दूँ तुम्हें...क्या एक नया धाम?
By Ritu Sachdeva