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Papa
By Pritesh Maheshwari
बनाके दुनिया, सोचे विधाता..
अब ऐसा क्या मैं बनाऊँ..
जो धरती पे सक्षम कहलाए..
किसको वो उत्तरदायित्व ठहराऊँ..
कोई ऐसा जिसमें सहनशक्ति हो..
हो गहराई समुद्र से ज़्यादा..
कोई भी कठिनाई आयें..
पर रखे मज़बूत इरादा..
समझदारी में सबसे उत्तम..
ज़िम्मेदारी का एहसास भी ज़्यादा..
चट्टान सरिका खड़ा हो हर दम..
थामे संरक्षण का छाता..
जब संकट आए अपनों पे..
तो सबसे आगे आ जाए..
ज़रूरत जीवन में कोई भी हो..
बस वो पूरी कर पाए..
सोच विचार के विधाता ने फिर..
निर्माण किया ऐसा अभेद उपाय
समझ, शक्ति और प्यार की माँटी से
‘Papa’ दिए बनाए..!
By Pritesh Maheshwari