- hashtagkalakar
"Ghav"
Updated: Jun 1
By Vandana Aasif
घाव रिसते है तो बस बहते ही जाते है
घबरा जाते थे और भाग कर आते थे
मां है ना
सब ठीक कर देगी थोड़ी सी दवा लगा देगी
थोड़ा सा फूक देगी "देखो ठीक हो गया ना"
मां है ना
आज बड़े तेजी से सफर कर रही हूं
पर आज डर नहीं लग रहा जैसे उड़ रही हूं
ना सामने गाडियां है ना लोग बस सफर कर रही हूं
उस दिन कितना डर गई थी
जब बेटे ने तेज गाड़ी चलाई थी
देर हो गई थी कुछ थोड़ा डांटा भी था मैंने
"देख अभी पहुंचाता हूं देर कर दी है ना मैने"
उसने कहा और इसके पहले कि कुछ समझ पाती
अपनी टूटी टांग सम्हाल पाती
हिलती डुलती ब्रेक लगते ही
पिछली सीट से डैशबोर्ड पर गिरी
बच्चो की तरह रोई थी
दर्द संभाल रही थी ,"अरे उसे लगी है बेटा"
ये घबरा कर चिल्लाए थे,मैने भी खुद को समेटा
दर्द बेइंतहा था
बेइज्जती का,लाचार होने का
बूढ़े हो चले हमदोनो का , इनके घबरा के रोने का
"क्या बेटा, रो रही हैं वो"
"स्ट्रेस देती है,नौटंकी करती है वो "
मां है ना
"पागल बनाती है,टोकती रहती है जीने नही देती"
बड़बड़ाते हुए उसने एक्सीलेटर और दबाया,"कौन"
इन्होंने रोते रोते पूछा ,शायद रह न पाए मौन
मां है ना
पर आज इतनी तेजी से सफर कर रही हूं
एकदम हल्का सा आनंदित महसूस कर रही हूं
जैसे कोई डर नही दहशत से परे
जिंदगी से आज़ाद हो गई हूं
शायद अब भी बेटा कह रहा हो या कहे
मां.............
By Vandana Aasif