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Bhed

Updated: Feb 24, 2024

By Deepshikha


तुम अपनी तरफ की कहानी पे अटके हुए हो,

और मैं अपनी तरफ की कहानी से संतुष्ट हूँ।

तुम्हारा पक्ष मैं कभी तुम्हे रखने नहीं देता,

और मेरे पक्ष में इतना वज़न नहीं, की तुम्हे तर्क दे सकूँ।

सच, तुम निपुण होकर भी क्या, मैं शब्दकोश होकर भी क्या।


मैं यहाँ भीड़ का एक हिस्सा बनके रह गया हूँ,

वहाँ तुम खुद में ही कहीं लापता होते जा रहे हो।

पीछे मुड़कर तुम देखना नहीं चाहते,

और आगे शायद मैं बढ़ना नहीं चाहता।

सच,रुक तुम नहीं पाते ,चल मैं नहीं पाता।



तुम्हे सुकून है वक़्त की चहल पहल से,

मुझे बेचैनी होती है पल पल ठहराव से।

तुम खुश हो मेरे जीवन के चटपटे स्वाद से,

मुझे चिड है तुम्हारे जीवन के फीकेपन से।

सच,तुम वहाँ होकर भी क्या,मैं यहाँ होकर भी क्या।


आज तुम प्रेम स्वीकार नहीं कर पाते,

और मैं कल की मोहब्बत अस्वीकार नहीं कर पाता।

सच,हाँ वही जिसे तुम खूबसूरती से छुपा लेते हो,

सच,हाँ वही जो चाहकर भी मैं तुमसे कह नहीं पाता।

सच ,भेद तो क्या ही है, तुममें और मुझमें.....


By Deepshikha



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Avarice

8 Comments

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Wasi Ahmad
Wasi Ahmad
Oct 08, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

यह कविता दो अलग व्यक्तियों के दृष्टिकोण को एक अद्वितीय तरीके से प्रस्तुत करती है और प्रेम और जीवन के विभिन्न पहलुओं को मन में सुनेहरा कर दिखाती है। यह एक गहरे और व्यक्तिगत संबंध को सुंदरता से व्यक्त करने का बढ़िया तरीका है।

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Nitin Tiwari
Nitin Tiwari
Sep 23, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

well- written 👍🏻

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Varun Goyal
Varun Goyal
Sep 18, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

pyaar, bhed, matbhed….all are part of love we share with the one🤞🏻

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Markownikov
Markownikov
Sep 18, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

lovelyy 💕

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Aman Singhal
Aman Singhal
Sep 18, 2023
Rated 5 out of 5 stars.

यह कविता वाकई दिल को छू लेने वाली है! 📜❤️ आपकी कविता में एक गहरे भावनाओं की अद्भुत परिभाषा है, जो हम सभी अपने जीवन में महसूस करते हैं। यह एक खुद को खोजने और दूसरों को समझने की कविता है, और इसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं के साथ एक मिलनसर अनुभव को दर्शाया गया है। 🌟💬

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