माँ
- Hashtag Kalakar
- Jul 26, 2023
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Updated: Jul 30
By Aashish Thanki
फिर से सिर सहला दे
तेरी गोद में सुलादे
कान पकड़ के पास बिठा दे
आज कल नींद नहि आती माँ
भटक रहा पैसों की चाह में
चोट जो लगी इन राहों में
फिर से पट्टी लगा दे
आज कल ज़ख़्म नहि भरते माँ
आलीशान होटेल के खाने में
वो स्वाद कहाँ मिलेगा
फिर से दाल चावल खिला दे
आज कल पेट नहि भरता माँ
वो बचपन की कहानी
वो मस्त चुटकुले
वो पहेलियाँ फिर से बूज़ा दे
दफ़्तर की बातों से मन नहि भरता माँ
तेरी गोद में सुलादे
आज कल नींद नहि आती माँ
By Aashish Thanki

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