“भीड़”
- Hashtag Kalakar
- Nov 11
- 1 min read
By Mandeep Kaur
अकेले रहकर पता चला — कितना ख़ालीपन था भीड़ में।
भागते थे हर चीज़ के पीछे, ख़ुशी पाने की उम्मीद में।
वक़्त बदला, हम बदले, रिश्ते छूटे और चीज़ें छुटीं।
अब तो ये आलम है कि उसी को देखते हैं हर चीज़ में।
अकेले होकर पा लिया है उसको —
जिसे पाना चाहते थे हम भीड़ में।
By Mandeep Kaur

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