कसक
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कसक

Dr. Tripti Mittal


दूर चले गए तुमसे तो हम याद बहुत आएगें

तुम बस तकते रहोगे राहें हम नज़र ना आएगें


वो मेरे मासूम वादे फ़क़त याद बन जाएगें

मिलेगी वफा बहुत, मेरे जैसे एतबार फिर ना आएगें


महफिल में जो होगा मेरा जिक्र तेरे लब सिल जाएगें

तन्हाई में तेरे लबों पर मेरे ही फसाने आएगें


तेरी साँसों में मेरी महक के भीने एहसास रह जाएंगे

ये फिज़ा और बहार फिर होगी मेरी खुशबू के मौसम ना आएगें





यूँ भी होगा तेरे अंदाज ए बयां में मेरी झलक नज़र आएगी

महफिले भी होगी गुफ्तगू भी होगी मेरे गीत तुझ तक ना आएगें


तेरी हर आवाज़ पर रूक कर हमनें बेहिसाब लम्हें बुने हैं

मुद्दतों उन लम्हों का जिक्र होगा फक़त रूबरू हम ना आएगे


हमने हर ख्वाब में भी तुझ संग कुरबत का रंग सजाया है

तुझे देंगे इतनी बैचेनी अब नज़र ख्वाब में भी ना आएगें


Dr. Tripti Mittal





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