Asu
- Hashtag Kalakar
- Sep 8, 2023
- 1 min read
Updated: Sep 3
By Birkunwar Singh
काश मैं होता आंसू तेरी आँखों का
साथ निभाता दिन और रातों का
कभी महफ़ूज़ रखता तो कभी सताता
ख़ुशी में भी और गमी में भी आता
हर पल तेरे चश्म में बसता
वहीं से जाता मेरे घर को रास्ता
बिन वक़्त के अगर करता याद तुझे
तो हंस के करना माफ मुझे
ऐसे यूं ही मत इनको गिराया कर
पता है तेरे सब राज़ मुझे
वो बारिश में आंसुओं का आना
खुदा की मर्जी है
एक एक बूंद बूंद ही आना
उसकी मुजावरी है
गिर जाऊं अगर आखों से
सरकते तेरी गालों से
धड़कन बढ़ जाए उन रातों से
होठों पे गिर के सिमट जाऊँ तेरे हाथों से
खैर माँगना तू सब की कबीर
कहीं एक वजह ना हो उन सब की पीड़
हर बूँद की अपनी एक कहानी होगी
तभी आंखों की नमी में रूहानी होगी
आज भी यही मांगा खुदा से
रख के परे हिसाब वो लाखों का
कि काश मैं होता आंसू तेरी आँखों का
कि काश मैं होता आंसू तेरी आँखों का
By Birkunwar Singh

Comments