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4. Shodhkarta Evam Mahila Kaamgaron Ke Beech Baat Cheet

By Shashi Shikha


हर बा र हमा री बस्ती में आते हो मेडम

हमा री उदा सी न कहा नी लि खने

इतने सवा ल पूछती हो हम से हमा रे हा लत के बा रे में क्या मैं पूछ सकती हूँ तुमसे ?

क्यूँ नहीं बदलता कुछ भी हमा रे हा ला त में ?

मेरे बच्चो की शि क्षा के बा रे में पूछते हो ,

पूछते हो की वो स्कूल जा ते है की नहीं

ये हिं दी , गणि त और भूगो ल उन्हें नहीं पढना

क्या ये सब पढने से उनको कुछ का म मि ल पा येगा ? दसवी पढ़ ली है मेरे बेटे ने, मैं तो नहीं पढ़ सकी ज़ि न्दगी में पर क्या वो वैसे ही लि ख पा येगा जैसे तुम लि खती हो ? शा यद नहीं , उसे झा ड़ू पकड़ना सी खना हो गा , उसे धक्के खा ने हों गे |

तुम पूछती हो क्यूँ मैं ये का म करती हूँ

मै ये का म इसलि ए करती हु क्यूंकि -ये मेरा का म है . तुम पूछती हो मुझे कैसा लगता है कूड़ा उठा ने का का म कर के मुझे शर्म नहीं आती , न बुरा लगता है न ही घृणा हो ती है क्युकी रो टी तो इसी से मुझे मि लती है

मैं और मेरा परि वा र इसी के सहा रे जी ते है

तुम घर आती हो मेरे, मेरे सा थ मेरे बि स्तर पर बैठती हो मेरे घर का पा नी पी ती हो वो भी स्टी ल के गि ला स में मुझे समझ नहीं अत कैसे करती हो तुम ये,

हमे तो हमेशा लो ग पा नी प्ला स्टि क के कप में देते है

लो ग दूर से दुत्का र देते है

अपने घर का वो चबूतरा भी धो डा लते है जहाँ हम कुछ देर बैठे हो |

लेकि न मेडम, कभी ऐसा करे की हम दो नों अपनी कला ई का ट ले तुम देखो गी की खून का रंग तो मेरा और तुम्हा रा एक सा है तुम्हा रा कचरा , तुम्हा रा पखा ना तुम्हा री गन्दगी हम सा फ़ करते है या द रखना हम उसे सा फ़ करते है

पर वो मुझे तुम्हा रा डस्टबि न नहीं बना देते

तुमने कहा था तुम्हे मेरी कहा नी सुन्नी है

हमा री ज़ि न्दगी में झां कना है, हमा रे घा व देखने है

क्यों इतनी उत्सुक हो तुम मेरे घा व देखने को , मेरी दा स्तां सुनने को ? और कैसे मेरा इस्तेमा ल करना चा हती हो तुम

जैसे हर बा र नेता आते है इलेक्शन के टा इम पर

हमा री बस्ती में अपनी ना क बंद करके, और ठग जा ते है

क्यूंकि वो इस गन्दगी में खड़े नहीं हो सकते

और अपनी जी त के बा द भूल जा ते हैं, हमा री खुली बदबूदा र ना लि यों को

घर के ना म पर मेरे पा स

एक कमरा है जि सके छत से आसमा न झां कता है

हर सुबह, मुझे लड़ना हो ता है टॉ यलेट की ला इन में

कभी कभी जल्दी में खुली जगह पर नि कल जा त्ते है

इस सब के बा द भी तुम नैति कता की बा त करती हो

क्या मुझे इसकी भी आज़ा दी नहीं

क्या सच में मैं जिं दा हूँ ?




पा नी की ला इन में

मुझे सि र्फ इसकी तया री नहीं करनी हो ती की मुझे आज पा नी मि ल जा ये मुझे लड़ने झगड़ने और कभी कभी कि सी दूसरी औरत के बा ल खी चने तक खुद को तैया र रखना हो ता है

वर्ना न जा ने मेरे घर पर उस दि न पा नी हो गा या नहीं

खा ना उस दि न बन पा येगा या नहीं

तुम ही बता ओ मैं क्या करू ?

तुम पूछती हो मैं कि तना कमा लेती हूँ

अगर बता दू तो तुम्हा रा सर घूम जा येगा

क्या तुम ७८०० रूपए में महि ना का ट सकती हो ?

बा बु लो ग बो लते है की हमे मि नि मम वेज मि लता है

हा सही तो है,है मि नि मम ही हो ता है

सि र्फ गुजरा करने के लि ए जो हो ता है

तभी तो नगर पा लि का चलती है

गुजा रा करने के लि ए रो ज़ नि कलती हूँ शहर को सा फ़ रखने मैं आगे भी नहीं बढती और न ही छूट पा ती हूँ यहाँ से

न मैं छुड़ा पा ती हूँ खुद को अपने भंगी पन से

न मेरी गरी बी और न ही मेरी मजबूरी से

न अनपढ़ हो ने से या मेरे उस पखा ने के सा थ रहने से

और मैडम, तुम पूछती हो की मैं क्या खुश हूँ अपने इस हा ला त से ? लगता है भगवा न् भी हमा रे जा त का कर्जा खा ए हैं

इस जा त में हमको जन्म देकर –हमा री कि स्मत में

अब सा री उम्र इस गन्दगी में का म करना लि ख दि या है

तुम पूछती हो की क्या मैं अपनी सफा ई का को ई ध्या न रखती हूँ मुझे नहीं पता की सा फ़ हो ना कि से कहते है, नहा ने के तुरंत बा द में सा फ़ करने चली जा ती हूँ तो सा फ़ कैसे रहू

पसी ने और आंसू दो नों पी ती हूँ

रो ने का मन करता है

क्या ज़ि न्दगी है मेरी

का म हो गा तो खा पा एंगेएं गेवरना भूखे मरेंगे

घर और सड़क पर का म करती हूँ मैं

ज़ि न्दगी खुद बो झ सी लगती है, और का म क़र्ज़ का बो झ हटा ने को करना पड़ता है

मरते हुए जी ने के लि ए ये का म करती हूँ

कभी हम रि टा यर नहीं हो ते, मैडम बस का म करते करते मर जा ते है

दी दी , ऐसा लगता है की तुमको लगता है की मैं तुमको वा स्तु के तरह समझती हूँ

लेकि न आज मैं जा नती हूँ की मैं आज सा फ़ दि ख रही हूँ क्युकी आपने हमे सा फ़ रखा है

नगर पा लि का आपसे का म करवा पा रही हूँ क्युकी आप सि र्फ मि नि मम में का म करने को रा ज़ी हैं

मेरे पा स आज डि ग्री है क्युकी मुझे आपसे हो ड लगा ने की ज़रुरत नहीं है तुम्हे लगता है तुम अनपढ़ हो

मगर तुम मुझे सि खा ती हो की कि सी को अपना या कैसे जा ता है तुम्हा री शख्शि यत इस समा ज के द्वा रा ला दी गयी पहचा न से कही उपर है तुम मुझसे ती खा बो लती हो क्युकी वही तुम्हा री ढा ल बन चुका है अब लड़ा ई करना तुम्हा रा तरी का नहीं है ज़रुरत है शा यद ता कि तुम जी सको

तुम्हा रे जी ने का तरी का एक असा धा रण कहा नी है जी ने की हस कर टा ल जा ती हो , अपने धेर्य से और अपने पा स कुछ न हो ने के बा वजूद|

तुम्हे मेरे वि चा रो की ज़रुरत नहीं है पर मुझे तुम्हा री है

ये शहर बंद पड़ जा येगा तुम्हा र्रे बि ना

नेता भी हा र जा येंगे और बा बू भी कि सी का म नहीं आएंगेएं गे|





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