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3. Khauf

Updated: Jun 12

By Shashi Shikha



एक अजी ब सी गुरगुरा हट से

मेरा दि ल जकड़ा जा रहा है,

मन वि चलि त, पां व सुन्न परे हैं

मैं खौ फ में हूँ, हूँ खौ फज़दा मैं .

हरदि न के, उगते सूरज की ला लि मा , के जी वन देने की ,गति का खौ फ है मुझे. हर शा म की , का ली रा त की , आरा म देने की क़ा बलि यत का त्रा स है. हर रो ज़, बि ना कि सी दुर्घटना के, अपने दफ्तर पहुँच जा ने का भय है , हर दि न, मेरी बेटी के सही सला मत घर लौ ट आने, का खौ फ है .

खौ फज़दा हूँ मैं

अपने उन तमा म दो स्तों , जा नका रों , और कला का रों के लि ए, जि नका मज़हब मुझसे जुदा है ,

खौ फज़दा से भी ज्या दा खौ फ तो मुझे इस बा त का है ,

की मुझे अपने ही मज़हब का हो ने का इत्मि ना न है

और संत्रा स

मुझे इस भहया व वर्तमा न के अती त का है ,

जि स अती त पर हमा रे अफजा इश नस्ल का वही सवा ल हो गा जो हमा रा है ! की क्या हम इसे बेहतर तरी के से सुलझा सकते थे?

क्या इस दुश्मनी की पैदा इश न हो ने पर हमा रा वश था ?




क्या हम कभी एक दुसरे के मर्म को समझ सकते हैं?हैं

क्या उनका सच और मेरा सच एक जैसा हो ना ज़रूरी है ? क्या उनका मज़हब और मेरा मज़हब एक हो ना ज़रूरी है? शा ही न बा ग़ की महि ला ओं के जैसे,

इस कड़कती ठण्ड में रा त भर सड़कपर बैठने का , खौ फ है मुझे अपने ही बेटे या बेटी के सर पर पड़े डंडे का खौ फ है.

एक वो दि न था , जब ज़मी न पर लकी र खिं च कर

मुल्कों को अलग कि या गया था .

आज वो दि न है, जब इंसा नी मा नसि कता पर लकी र खिं च कर - हमें अपने वि चा रों के लि ए अलग कौ म बना या जा रहा है . इस कौ म का रा जा कौ न और प्रजा कौ न?

इस कौ म में आज़ा दी कि सकी , बंदी कौ न ?

खौ फ है

मुझे हमा रे औला दों के हर सवा ल से ,

पर उससे भी खौ फज़दा हूँ मैं

इन सभी सवा लों पर मेरे को ई जवा ब न हो ने से .

अपने वि चा रों को व्यक्त न कर पा ने का खौ फ है मुझे

गलत हुई कि सी भी बा त के खि ला फ खड़े न हो पा ने का खौ फ है, खौ फ है मुझे की कि सी कट्टर मा नसि कता से अगर मेरा सा मना हो जा ये तो बा त की जगह कटा रि यां नि कलेंगी

मैं खौ फज़दा हूँ अपने ही वि चा रों पर सवा ल उठा ने से

और उन सवा लों का को ई जवा ब न पा ने से

और उन सभी सवा लों से हा र जा ने से .

मैं अपने अवा म, अपनी आने वा ली नस्ल,

अपने मुस्तकबि ल के लि ए खौ फ में हूँ

पर उससे भी खौ फज़दा मैं इस बा त से हूँ की

मेरे हर सवा ल को बर्बा द और मेरे हर डर को बेबुनि या द बता या जा येगा . -शशि



By Shashi Shikha




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