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1.Khamoshi
By Dipti Mishra
भले ही तुमने ना कहा हो मुझसे
पर इन आँखों की भी एक जुबां हुआ करती है
तू कितना भी मना कर इनको
अनजाने में ही ये सब कुछ बयां करतीं हैं
मेरी आँखों ने जो पढा तेरी आँखों का मंजर
हैरान हो जाता हूं मैं ये देखकर
इतना कुछ है कहने को इनमें
पर ये यूं ही खामोश रहा करती हैं
तू बहने दे
इनसे ख्वाबों को
तू देख
ये तुझे भी फलक पर बिठा सकती हैं
हां
मेहनत तुझको करनी होगी
नींदों को जगाना होगा
जब तू जागेगा अपनी रूह के साथ
तब तेरे ख्वाबों को जमीं और तुझे आसमां मिलेगा।
By Dipti Mishra