By Nirupama Bissa
बात उन दिनों की है जब मैने ग्रेजुएशन पूरा किया ही था । एक जॉब की तलाश कर रही थी और किस्मत से मिल भी गई । यहां बता दूं कि जॉब करना ना तो मेरी जरूरत थी और न ही मेरी मजबूरी , मेरा पैशन था ।
पढ़ना और पढ़ाना दोनों ही बहुत पसंद थे मुझे बचपन से । और संभवतः क्लास 8 या 9 में थी तब से पढ़ा रही हूं। कभी घर के बच्चे तो कभी पड़ोस के तो कभी वो बच्चे जिनको कहीं और सहायता नही मिलती थी तो चले आते थे मेरे पास। मैं भी अपनी समझ के हिसाब से पूरा प्रयास करती थी ।
आज बात कुछ और है, विषय भी कुछ और ही है।
नौकरी की पहली कमाई हाथों में आई थी उस दिन । एक अलग ही अनुभूति थी । जाकर अपनी छोटी सी कमाई को अपने दादा जी के हाथों में रख दिया । दोनों दादा पोती भाव विहल थे उस वक्त । एक रात के लिए अपनी खास तिजोरी में रखा उन्होंने वो खज़ाना और अगले दिन मुझे लौटा कर कहा , जाओ अपनी पसंद का कुछ खरीद लो अपने लिए ।
अरे वाह, अपनी कमाई से अपनी पसंद की चीज़ , मानो मैं दुनिया की सबसे अमीर लड़की थी उस दिन। पर क्या खरीदूं ये समझ ही नही आया, मां से पूछा कि क्या खरीदा जाए इन पैसों से ।
मां का हृदय आप समझ ही सकते हैं , "एक सुंदर सी, प्यारी सी , लाल साड़ी खरीद लो अपने लिए , क्या पता कब जरूरत आन पड़े," मां ने समझाया।
मां के शब्दों का भाव समझ तो आ गया था पर उन दिनों कुछ एक्टिंग करना जरूरी माना जाता था ना , सो नासमझ बने रहने में ही भलाई समझी ।
अगले दिन निकल पड़ी मैं, मां को साथ लेकर शॉपिंग के लिए और चुन लाई अपने लिए एक प्यारी सी साड़ी।
चटक लाल रंग उन दिनों खास पसंद नहीं था इसीलिए उसके आस पास के शेड्स को देखते हुए एक जॉर्जेट साड़ी खरीदी गई जिसमे सुंदर सा ज़री बॉर्डर था।
बस अब सही मौके का इंतजार था , इस साड़ी को पहनने के लिए। वो अवसर मेरे जीवन में जल्दी ही आ भी गया । क्या था वो अवसर ये बात अगले एपिसोड में,,,,,,,
फिलहाल के लिए बता दूं कि पिक में वही साड़ी पहनी हुई है ।
पहली बार हुई कोई भी बात आपको अंदर तक छू जाती है शायद , इसीलिए बहुत कुछ लिखा गया है पहली बारिश पर, पहले प्यार पर, पहली बार बच्चे के चलने पर और उसके बोलने पर, पहली बार मां बनने पर ,,,,,,
औरशायदपहलीकमाईपरभी।
By Nirupama Bissa