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Athak Prayas
By Bhagat Singh
उठो चलो, उठो करो
करो अथक प्रयास
तलाश ये तेरी ही है
खराश ये तेरी ही है
चोट चंद सवाल है
जवाब बाँचते रहो
काहे को डरे हो
जब तलक है पास साँस॥
उठो चलो, उठो करो
करो अथक प्रयास॥
चंद मायनो में अब
ना ज़िंदगी को तोल
तेरे ही कर्म अंत में
बोलेंगे तेरे बोल
आने वाली हर घड़ी
को जी के कर दो खास॥
उठो चलो, उठो करो
करो अथक प्रयास॥
दायरा बढ़ाता रह
ख्वाब से जीने की कह
जश्न को जिंदा ही रख
आँख से चेहरे परख
खाली को ऐसे भरो के
जैसे हो ही न आभास॥
उठो चलो, उठो करो
करो अथक प्रयास॥
फुर्सतों से खेल तू
कर्कष कटाक्ष झेल तू
आंधी की धूल साफ कर
बिखरा इरादा माप कर
अपना वचन निभाने को
जा राम सा वनवास॥
उठो चलो, उठो करो
करो अथक प्रयास॥
खुद का खुद सहारा बन
दरियां का खुद किनारा बन
जल खुद ही वो मशाल बन
बन खुद ही वो कमान बन
जो निशाना साधे बस
वो तीर आए रास॥
उठो चलो, उठो करो
करो अथक प्रयास॥
क्रोध से रहो परे
शांति का मुकुट धरे
तन को हाँकते रहो
मन में झाँकते रहो
हर एक मन के बाग में
कोयल सी बन मिठास॥
उठो चलो, उठो करो
करो अथक प्रयास॥
हर दिशा में ढूंढ तू
हर हरफ को चूम तू
कल का किनारा पाने को
जमाने को दिखाने को
एक एक कदम बढ़ा
बन जाए इस से पहले
के तू काल का ग्रास॥
उठो चलो, उठो करो
करो अथक प्रयास॥
By Bhagat Singh