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Alvida
By Nausheen Sayyed
अलविदा, अलविदा ।
तू कह गया हमें अलविदा ।
वो एक इम्तेहान कि जिसमें तू सफल न हुआ,
माना कि तेरा ख्वाब मुकम्मल न हुआ ।
मगर ये तो कोई सबब ही न था,
कि जो तू इस जहाँ को अलविदा कह गया ।
जो उलझन थी तेरी सुलझ भी तो सकती थी,
तेरी उजडी दुनिया फिर संवर भी तो सकती थी ।
दिखती थी जो बंद तुझको, क्या खबर तुझे ?
वो खिडकी तेरी दस्तक पे खुल भी तो सकती थी ।
यूं जीना छोड देना ही एक रस्ता नहीं था,
आजमाईशों से मुंह मोड लेना तुझपे जचता नहीं था ।
बाबा का तेरे था वाहिद असासा तू ,
मां का लाडला कोई इतना सस्ता नहीं था ।
अलविदा, अलविदा ।
क्यों कह गया तू अलविदा ?
By Nausheen Sayyed