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Aaj Pairo Mein
By Parul
आज पैरों में पुराना कोई दर्द उठा,
कभी कोई चोट खाई थी ठीक से याद नहीं,
तब भागदौड़ में पता ही नहीं चला कुछ,
अब उम्र का वो मंच है सामने कि
सुनने वाला यहां कोई है नहीं,
कहने जैसी कोई बात नहीं।
अब पहले जैसा कुछ नहीं
अब पहले वाली बात नहीं।
दो अकेले थे जब मिलकर हम एक हुए,
हम जब एक हुए तो एक मकान पूरा घर बना,
मकां जो पूरा घर बना तो घर में कुछ फूल खिले,
अब फूल कहीं और है घर अब मेरा सुना पड़ा।
खामोशी है यहां चारो ओर,
शोर जैसी कोई बात नहीं।
अब पहले जैसा कुछ नहीं।
अब पहले वाली बात नहीं।
क्या ये सिर्फ मैं ही हूं ,
या जो मैं हूं वैसे सब है यहां।
दौड़ता रहा भागता रहा मैं बस,
पता भी ना था जाना था कहां।
आधी से ज्यादा कट चुकी है
अब रुकने जैसी बात नहीं।
अब पहले जैसा कुछ नहीं।
अब पहले जैसी बात नहीं।
कुछ बातें तुझसे कहनी थी,
दो पल शाया करने थे,
स्याही वाले इश्क़ से,
जिंदगी के पन्ने रंगने थे।
अब तू है कि है नहीं,
कुछ कहने जैसी बात नहीं,
अब पहले जैसा कुछ नहीं,
अब पहले वाली बात नहीं।
इस सुबह से क्या कह दूं मैं,
कुछ वक़्त पहले जो गुजरी रात हुई,
एक चमकीला सा काली चादर में कुछ,
अकेले मैं मेरी तारों से बात हुई।
तेरे संग जो सावन देखे थे
आती हुई सर्दियों में अब वो बात नहीं,
अब कहने मेरे पास कुछ नहीं,
अब पहले जैसा कुछ नहीं
अब पहले वाली बात नहीं ।
By Parul