पिता
top of page

पिता

By Priyank Yadav


कर दूं समर्पित तुझको भी

सोच रहा हूँ इक कविता।

बच्चो के लिए खुद को भुला

दुनिया कहती उसको है पिता।

उसके श्रम के आकाश से ही

है धरती पर मेरा भी पता।

है गाते माँ का प्यार सभी

पर भूल जाये हर कोई पिता।

कर दूं समर्पित तुझको भी

सोच रहा हूँ इक कविता।

बच्चो को शिक्षा देने को

श्रम करता है दिन रात पिता।




परिवार के पालन पोषण में

सेहत खुद की भूला वो पिता।

माँ होती पहली अध्यापक

पर विद्या का आलय है वो पिता।

कर दूं समर्पित तुझको भी

सोच रहा हूँ इक कविता।

घर मे बरकत माँ से है तो

उसकी पीछे की महिमा है पिता।

संस्कार अगर देती है माँ

तो वेदों का वर्णन है वो पिता।

हो जाती धरती जहाँ खत्म

सागर में राम सेतु है वो पिता।

अब हुआ सफल लेखन मेरा

जब लिखा तुम्हारे लिए पिता।

कर दूं समर्पित तुझको भी

सोच रहा हूँ इक कविता।


By Priyank Yadav





6 views0 comments

Recent Posts

See All

Maa

By Hemant Kumar बेशक ! वो मेरी ही खातिर टकराती है ज़माने से , सौ ताने सुनती है मैं लाख छुपाऊं , वो चहरे से मेरे सारे दर्द पढती है जब भी उठाती है हाथ दुआओं में , वो माँ मेरी तकदीर को बुनती है, भुला कर 

Love

By Hemant Kumar जब जब इस मोड़ मुडा हूं मैं हर दफा मोहब्बत में टूट कर के जुड़ा हूं मैं शिक़ायत नहीं है जिसने तोड़ा मुझको टुकड़े-टुकड़े किया है शिक़ायत यही है हर टुकड़े में समाया , वो मेरा पिया है सितमग

Pain

By Ankita Sah How's pain? Someone asked me again. " Pain.." I wondered, Being thoughtless for a while... Is actually full of thoughts. An ocean so deep, you do not know if you will resurface. You keep

bottom of page